हंस और कौवे में भेद || आचार्य प्रशांत, गुरु कबीर पर (2015)

2019-11-30 0

वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१ नवम्बर, २०१५
ए. आई. टी., कानपुर

दोहा:
हंसा मोती विण्न्या, कुञ्च्न थार भराय।
जो जन मार्ग न जाने, सो तिस कहा कराय॥ (गुरु कबीर जी)

प्रसंग:
गुरु कबीर हंस का उदाहरण क्यों ले रहे है?
हंस किस बात की संकेत है?
हंस और कौवे में क्या भेद है?

संगीत: मिलिंद दाते

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