वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
१ नवम्बर, २०१५
ए. आई. टी., कानपुर
दोहा:
हंसा मोती विण्न्या, कुञ्च्न थार भराय।
जो जन मार्ग न जाने, सो तिस कहा कराय॥ (गुरु कबीर जी)
प्रसंग:
गुरु कबीर हंस का उदाहरण क्यों ले रहे है?
हंस किस बात की संकेत है?
हंस और कौवे में क्या भेद है?
संगीत: मिलिंद दाते